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लेखनी कहानी -04-Jan-2023 दिल दा मामला है

दिल दा मामला बड़ा अजीब है । यह एक दास्तान की तरह है जो कहां से शुरू होती है और कहां खत्म, कुछ पता नहीं चलता है । लेखक, गीतकार, साहित्यकार, शायर इसे अलग अलग तरह से बयां करते हैं । कोई कहता है "है अपना दिल तो आवारा , न जाने किस पे आयेगा" । अरे भाई अगर आपका दिल आवारा है तो उसे बांध कर रखिए, छुट्टे सांड की तरह क्यों खुला छोड़ रखा है ? उसने अगर किसी को सींग मार दिया तो उसका जिम्मेदार कौन होगा ? आप तो खीसें निपोर कर रह जायेंगे मगर जिसके सींग लगेगा उसका हाल क्या होगा , कुछ पता है ? 

इन्हें क्यों पता होगा ? ये तो कह देंगे "दिल तो बच्चा है जी, थोड़ा कच्चा है जी" । अगर आपका दिल बच्चा है तो किसी "प्ले स्कूल" में डाल दो वहां पर "लकड़ी की काठी काठी पे घोड़ा घोड़े की दुम पे जो मारा हथौड़ा" गाता रहेगा और मस्त रहेगा । उसे अपने साथ लेकर "शरीफों" के शहर में क्यों घूम रहे हो ? अगर कहीं यह खो गया तो फिर "कुंभ के मेले" में भी नहीं मिलेगा । 

एक बात ध्यान से सुन लो , यहां न जाने कितनों का दिल खो गया है तभी तो लोग गाते फिर रहे हैं "जाने कहां मेरा जिगर गया जी, अभी अभी यहीं था किधर गया जी" । अब ये दिल इतना चंचल है कि न जाने कहां कहां खो जाता है । एक दीवाना बता रहा था कि किसी की नशीली आंखों में खो गया है उसका दिल तो कोई कह रहा है कि उसका दिल हुस्न की गलियों में खो गया है । किसकी बात मानें ? हुस्न की गलियां तो इतनी तंग होती हैं कि दिल उसमें जा ही नहीं सकता है । हां , जो संगदिल सनम हैं उनका दिल चूहे जैसा होता है, वह अवश्य उन तंग गलियों में जा सकता है । पर देखने वाली बात यह है कि चूहे वाला दिल हुस्न की गलियों में जाकर क्या हासिल कर लेगा ? हुस्न तो ऐसे डरपोक दिल को दाना भी नहीं डालता है और शेर दिल हुस्न की तंग गलियों में आ नहीं सकता है । फिर ये माजरा क्या है , कुछ समझ में नहीं आता है । 

अभी हम इस पर विचार कर ही रहे थे कि कहीं से कुछ जलने की बू आने लगी । हमने इधर उधर निगाहें दौड़ाई मगर कुछ नजर नहीं आया । सामने से एक आदमी गाता हुआ जा रहा था "दिल जलता है तो जलने दे, आंसू ना बहा फरियाद न कर" । बड़ा अजीब आदमी है जो दिल के जलने पर भी खामोश है । मुझे तो यह कोई मूर्ख आदमी लगता है नहीं तो अब तक यह फायर ब्रिगेड बुला लेता । कोई कह रहा है कि जब दिल जलता है तब उसमें से केवल धुंआ उठता है जो फायर ब्रिगेड से नहीं मिट सकता है । हमने बड़ी मासूमियत से पूछ लिया कि फिर यह आग कैसे बुझेगी तो वे कहने लगे कि दिल के सागर में गोते लगाने से ही बुझ सकती है यह आग । तब हमें पता चला कि दिल में भी कोई सागर छुपा रहता है । हम तो दिल को एक "तुच्छ" सी चीज मान रहे थे मगर ये तो सागर जितना विशाल निकला । 

ये अलग बात है कि दिल जलने के बहुत से कारण होते हैं । कोई कह रहा था "जलता है जिया मेरा भीगी भीगी रातों में" । हमारे तो समझ से बाहर की बातें हैं ये सब । जब रात खुद भीग रही है तो वह किसी दिल को कैसे जलायेगी ? पर ये शायर लोग कुछ भी लिख देते हैं । तभी तो एक गीतकार ने लिख दिया था "जिया जले जान जले , चारों तरफ धुंआ चले" । ये गीतकार तो शायर साहब से दो कदम आगे निकल गये । इन्होंने तो जिया जलने के साथ साथ जान भी जला दी है । अब कोई यह न कह दे कि शरीर में और अंग हैं जो जलते हैं । 

मुझे तो लगता है कि ये शायर लोग दीवाने होते हैं शायद, तभी ये लोग ऐसी बहकी बहकी बातें करते हैं । एक पागल ही पागल को अच्छी तरह से जानता समझता है तभी तो ये शायर लोग "दिल को पागल" कहते हैं । एक शायर ने तो यह लिख दिया "दिल ये पागल दिल मेरा, हर पल तुझे याद करे" । एक पागल शायर को कोई कैसे समझाये कि एक पागल को कुछ भी याद रहता है क्या ? वह कैसे हर पल याद कर सकता है किसी को ? और अगर वह याद कर सकता है तो फिर वह पागल कहां हुआ ? पर लोग भी ये बातें सुनकर मुस्कुरा देते हैं बस । 

अक्सर लोग शिकायत करते रहते हैं "चुरा लिया है तुमने जो दिल को" । अरे भाई, जब आपके घर में चोरी हो गई है तो उसका ढिंढोरा क्यों पीट रहे हो ? क्यों नहीं किसी थाने में जाकर रपट लिखा देते हो रेखा की तरह जो एक दरोगा से कहती है "दरोगा जी, चोरी हो गई" । उसका भी दिल किसी ने चुरा लिया था और मजेदार बात यह है कि वह दरोगा ही उसके दिल का चोर निकला । अब आप ही बताओ कि एक चोर क्या खुद को पकड़ेगा ? कुछ चोर तो इतने बेखौफ होते हैं जो सरेआम ऐलान कर देते हैं कि "चोरी चोरी दिल तेरा चुरायेंगे, अपना तुझे बनायेंगे" । ऐसे हिम्मत वाले चोर भी हैं जो दिल भी चुरा लेते हैं, पकड़ में भी नहीं आते हैं और जिसका दिल चुराते हैं वह बंदी इन्हें अपना भी बना लेती है । इसीलिए तो कहते हैं कि दिल दा मामला है । कुछ लोग तो खुद आगे आकर कहते हैं "चुरा लो न दिल मेरा सनम , बना लो न अपना सनम" । बेचारे , दिल हथेली पर लिये लिये घूम रहे हैं और कहते जा रहे हैं "तुमने पुकारा और हम चले आये, दिल हथेली पर ले आये रे" । बेचारी नायिका सोचती रह जाती है कि इतने सारे दिलों में से किसका दिल चुराये वह । सालियां तो जूते चुराती हैं , प्रेमिका दिल और बीवी ? वह तो पैसे चुराती है । नोटबंदी में कितना चोरी का माल निकला था, याद है ना ? 

सरेआम ऐलान करने के बाद भी जब कोई दिल नहीं चुराता है तो दिल बेचारा तड़प उठता है और रो रोकर दिल दुहाई देता है "दिल रो रो के देता दुहाई किसी से कोई प्यार ना करे" । राजेश खन्ना साहेब तो जंगलों में भटकते हुए गा रहे थे "आजा ओ आजा , कि मेरे दिल ने तड़प के जब नाम तेरा पुकारा" लेकिन ये हुस्न वाले भी कितने "पत्थर दिल" होते हैं , पिघलते ही नहीं । इनकी चौखट पर न जाने कितने दिलों ने दम तोड़ दिया है मगर इन्हें कुछ फर्क नहीं पड़ता है । न जाने कितने दिलों के अरमान आंसुओं में बह गये हैं । लोग चिल्लाते ही रह गये "दिल की आवाज भी सुन मेरे फसाने पे न जा" मगर हुस्न के कान कहां होते हैं साहेब जो दिल की आवाज सुने । 

कमबख्त दिल है कि मानता ही नहीं । सरगोशियां करता रहता है । कभी इधर कभी उधर कभी किसी ओर चल देता है । कभी किसी से दिल लगा लेता है तो कभी और किसी पे आ जाता है । कभी कभी तो एक साथ कइयों पर आ जाता है तब बड़ी समस्या पैदा हो जाती है । एक अनार सौ बीमार वाली कहावत चरितार्थ हो जाती है । "इसे दूं या उसे दूं ये दिल किसे दूं" , पर देना तो पड़ेगा । 

कुछ लोग इतने पारखी होते हैं कि वे यह पहचान कर लेते हैं कि सामने वाले का दिल कैसा है जैसे कि उनके पास कोई गुप्त कैमरा लगा हो । दिल काला है या गोरा , साफ सुथरा है या मैला कुचैला , रंगीन है या सफेद , अनाड़ी है या खिलाड़ी । तभी तो आशा पारेख शम्मी कपूर से कह रही थीं "बड़े हैं दिल के काले, हैं यहीं नीली सी आंखों वाले" । गजब की पहचान क्षमता है मोहतरमा की ।

दिल की यात्रा भी गजब है । किसी जमाने में "दिल एक मंदिर" हुआ करता था जिसमें प्रियतम "प्रभु" के रूप में रहा करता था लेकिन अब ये "कमबख्त" और "कमीना" हो गया है । इसमें दिल का क्या कसूर है ? जाकर रही भावना जैसी दिल की मूरत देखी तिन तैसी । कमबख्त और कमीने लोगों को दिल भी वैसा ही दिखेगा न ! जो लोग नहीं जानते कि "वफा" क्या है उन्हें ये दिल "बेवफा" ही नजर आयेगा । ऐसे लोग "दिल के टुकड़े टुकड़े करके मुस्कुरा के चल देते हैं" और मासूम दिल के हजारों टुकड़े हो जाते हैं जिनमें से कोई यहां गिरता है कोई वहां । 

"दिल का भंवर करे पुकार प्यार का राग सुनो" पर कोई सुनने वाला ही नहीं है । बेचारा गोविंदा कहता ही रह गया "दिल जान जिगर तुझपे निसार किया है , प्यार किया है रे तुझे प्यार किया है" तो कोई कह रहा है "दिल पे तेरे प्यार का पैगाम लिख दूं" । अब दिल कोई नोट बुक है क्या जो उस पर कुछ भी लिख दिया जाये ? नायिका भी कह देती है "दिल की किताब कोरी है" । भई, मैंने तो अब तक कोई किताब कोरी नहीं देखी , आपने देखी हो तो बता देना । 

दिल की माया अपरंपार है , अनंत है अद्भुत है । मेरे जैसा अल्प ज्ञानी इतने बड़े दिल पर क्या ही लिख पायेगा ? इसकी दुनिया भी अलग है । अफसाने भी अलग ही हैं और हर दिल की कहानी भी अलग ही है । जब दो दिल मिलते हैं तब एक नया जहां पैदा हो जाता है । ये दिल चुपके चुपके मिल जाते हैं और किसी को कानोंकान खबर भी नहीं होती है । मगर जब दिल टूटता है तो प्रलय आ जाती है । इसलिए मेरा तो यही कहना है कि दिलों पर राज करने की कला जो जानता है वही तो भगवान कहलाता है । 

श्री हरि 
4.1.23 


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8 Comments

Gunjan Kamal

05-Jan-2023 08:55 PM

शानदार प्रस्तुति 👌🙏🏻

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Hari Shanker Goyal "Hari"

05-Jan-2023 09:09 PM

हार्दिक अभिनंदन मैम

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Sachin dev

05-Jan-2023 03:54 PM

Wonderful

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Hari Shanker Goyal "Hari"

05-Jan-2023 09:09 PM

हार्दिक अभिनंदन आदरणीय

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Raziya bano

04-Jan-2023 06:41 PM

Ni e

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Hari Shanker Goyal "Hari"

05-Jan-2023 12:18 AM

धन्यवाद मैम

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